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Mustard Seed Priya Gold
ITEM CODE : PS7037 | SKU : PLYSKU1747649181

परिचय:

सरसों एक प्रमुख तिलहनी फसल है, जो भारत में मुख्यतः रबी मौसम (अक्टूबर-मार्च) में बोई जाती है। इसके बीजों से तेल निकाला जाता है और इसका उपयोग मसालों, अचार और दवाइयों में भी किया जाता है। सरसों के पौधे का हर भाग उपयोगी होता है।

 

सरसों के बीज की विशेषताएँ:

1. बीज का रंग:

  • सरसों के बीज छोटे, गोल और चिकने होते हैं।
  • आमतौर पर तीन प्रकार की सरसों पाई जाती हैं: पीली, काली और भूरी।

2. तेल की मात्रा:

  • सरसों के बीज में 38% से 42% तक तेल पाया जाता है।
  • यह तेल खाना पकाने, मालिश, और आयुर्वेदिक औषधियों में उपयोग किया जाता है।

3. अंकुरण क्षमता:

  • बीज 3-7 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं।
  • बीजों की गुणवत्ता के अनुसार अंकुरण दर भिन्न हो सकती है।

4. उपयुक्त जलवायु और मिट्टी:

  • ठंडी जलवायु सरसों के लिए अनुकूल होती है।
  • बलुई दोमट और अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है।

5. बोने का समय:

  • अक्टूबर से नवम्बर तक इसका रोपण किया जाता है।

6. उपज:

  • औसतन उपज 8 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है, अच्छी देखभाल से 15 क्विंटल तक भी हो सकती है।

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परिचय:

सरसों एक प्रमुख तिलहनी फसल है, जो भारत में मुख्यतः रबी मौसम (अक्टूबर-मार्च) में बोई जाती है। इसके बीजों से तेल निकाला जाता है और इसका उपयोग मसालों, अचार और दवाइयों में भी किया जाता है। सरसों के पौधे का हर भाग उपयोगी होता है।

 

सरसों के बीज की विशेषताएँ:

1. बीज का रंग:

  • सरसों के बीज छोटे, गोल और चिकने होते हैं।
  • आमतौर पर तीन प्रकार की सरसों पाई जाती हैं: पीली, काली और भूरी।

2. तेल की मात्रा:

  • सरसों के बीज में 38% से 42% तक तेल पाया जाता है।
  • यह तेल खाना पकाने, मालिश, और आयुर्वेदिक औषधियों में उपयोग किया जाता है।

3. अंकुरण क्षमता:

  • बीज 3-7 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं।
  • बीजों की गुणवत्ता के अनुसार अंकुरण दर भिन्न हो सकती है।

4. उपयुक्त जलवायु और मिट्टी:

  • ठंडी जलवायु सरसों के लिए अनुकूल होती है।
  • बलुई दोमट और अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है।

5. बोने का समय:

  • अक्टूबर से नवम्बर तक इसका रोपण किया जाता है।

6. उपज:

  • औसतन उपज 8 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है, अच्छी देखभाल से 15 क्विंटल तक भी हो सकती है।

 

रोग और कीट नियंत्रण:

  • सरसों में माहू (Aphids), सफेद रतुआ और तना गलन जैसी बीमारियाँ लग सकती हैं।
  • समय-समय पर जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए।

 

प्रमुख सरसों की किस्में:

  • वर्षा, पुष्कर, NRCHB-101, Varuna, Rohini, Pusa Bold
  • ये किस्में तेल की अधिकता, रोग प्रतिरोधकता और उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती हैं।

 

फायदे:

  • सरसों की खेती कम लागत में अधिक लाभ देती है।
  • यह फसल रबी मौसम में खेतों को खाली नहीं रहने देती।
  • तेल के अलावा इसके खल को पशुओं के चारे के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
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